As one bows reverentially
to an old or elderly person to touch his feet or knees, the hand of the
elderly person automatically comes on the head or shoulder of the youngster
to bless him. So is the nature of Sri Guru Nanak Sahib. As one bows reverentially
to pay homage at the holy feet of Eternal Sri Guru Granth Sahib, the compassionate
holy hands of Sri Guru Nanak Sahib similarly move forward on the head
of a true aspirant, believer, devout, faithful and bless him.
जब कोई आदर सहित अपने बुजुर्गों के चरणों में शीश झुकाता है तो बुजुर्गों या बड़ों का हाथ स्वाभाविक रूप में शीश झुकाने वाले के सिर से स्पर्श हो जाता है। इसी प्रकार श्री गुरु नानक साहिब का स्वभाव है कि जब कोई युग-युगान्तरों से अटल श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र चरणों में नतमस्तक होता है तो दया के सागर श्री गुरु नानक साहिब अपने सच्चे जिज्ञासु, श्रद्धालु व सेवक के शीश पर आशीर्वाद से भरा हुआ हाथ रखने के लिए आगे आ जाते हैं।